नई दिल्ली। :- यमुना की सफाई को लेकर किए जाने वाले दावों की पोल खुल रही है। नदी में प्रदूषण बढ़ने से इसकी सतह पर झाग फैली हुई है। यमुना में प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण बिना शोधित सीवेज गिरना है।
शहर में उत्पन्न होने वाले सीवेज को शोधित करने के लिए पर्याप्त संख्या में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं हैं। उपलब्ध 37 एसटीपी में से 21 मानक के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं। इससे समस्या बढ़ रही है।
184.9 एमजीडी सीवेज सीधे यमुना में गिर रहा
दिल्ली में प्रतिदिन 712 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) सीवेज उत्पन्न होता है। इसमें से सिर्फ 607.1 एमजीडी का शोधन होता है। इस तरह से 184.9 एमजीडी सीवेज सीधे यमुना में गिर रहा है। शोधित सीवेज भी मानक के अनुरूप नहीं है।
अगले वर्ष तक एसटीपी की क्षमता बढ़ेगी
दिसंबर, 2025 तक एसटीपी की क्षमता बढ़ाकर 964.5 एमजीडी किया जाना है। इसके लिए नए एसटीपी बनाने के साथ ही पुराने का उन्नयन का काम चल रहा है। इसमें से अधिकांश के निर्माण में एक से डेढ़ वर्ष का विलंब हुआ है।
ओखला एसटीपी का अब काम हुआ पूरा
यमुना की सफाई को लेकर एनजीटी के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय समिति की जुलाई के अंतिम सप्ताह में हुई बैठक में इनके निर्माण की समय सीमा बढ़ाई गई थी। 124 एमजीडी क्षमता वाले ओखला एसटीपी का निर्माण कार्य पिछले वर्ष जून में पूरा किया जाना था, जिसे बढ़ाकर जुलाई और बाद में सितंबर किया गया। अब इसका काम लगभग पूरा हो गया है।
सोनिया विहारे के एमजीडी का काम लगभग पूरा
इसी तरह से सात एमजीडी क्षमता वाले सोनिया विहार का काम पिछले वर्ष सितंबर में पूरा किया जाना था, जिसे बढ़ाकर जुलाई किया गया। इसका काम भी लगभग पूरा हो गया है। एक और एसटीपी दिल्ली गेट पर बनना है। इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (PWD) द्वारा दिल्ली जल बोर्ड को भूमि आवंटित किया गया है।
बाकी एसटीपी का क्या हाल
पुराने एसटीपी में से 18 के उन्नयन का काम किया जा रहा है। इससे 107.5 एमजीडी क्षमता बढ़ेगी। उन्नयन का काम इस वर्ष दिसंबर में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें से रिठाला चरण एक (40 एमजीडी) , कोंडली कोंडली चरण दो (25 एमजीडी), कोंडली चरण चार (45 एमजीडी) और यमुना विहार चरण दो (15 एमजीडी) सहित नौ एसटीपी का उन्नयन कार्य या तो पूरा हो गया है/या अंतिम चरण में है। शेष एसटीपी के लिए नई प्रस्तावित समय सीमा दिसंबर, 2025 कर दी गई है।